जिला बनवाने के लिए 16 साल से संघर्षरत्त है सफीदों के लोग, अब जिला बनने की संभावनाएं जगी
People of Safidon have been Struggling
सफीदों, (विनय दीवान): People of Safidon have been Struggling: सफीदों को जिला बनवाने के लिए संघर्ष समिति, यहां के लोग व सामाजिक संस्थाएं पिछले 16 साल से संघर्षरत्त है लेकिन अब उनका संघर्ष मूर्त रूप लेता हुआ प्रतीत हो रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में जिलो के गठन को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा केबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। इस समिति की अनेक बैठकें हुई। कई बैठकों के बाद कमेटी द्वारा हांसी, डबवाली, असंध, गोहाना व सफीदों को जिला बनाने के लिए मोहर लगा दी गई है। वर्ष 2009 में सफीदों को जिला बनाने का आंदोलन उस वक्त शुरू हो गया था जब गोहाना को जिला बनाने और उसमें सफीदों को शामिल करने की बात सामने आई थी। जिसके बाद यहां के लोग उग्र हो गए थे। उन्होंने इसकी शुरूआत इस बात से शुरू की थी कि वे किसी भी रूप में गोहाना में शामिल नहीं होंगे। यहां के लोगों ने उसी वक्त से गोहाना में शामिल होने का विरोध करते हुए तात्कालीन सरकार के सम्मुख सफीदों को ही जिला बनाने की बात रखी थी। जब-जब भी गोहाना को जिला बनाने और उसमें सफीदों को शामिल करने की बात आती तो आंदोलन परवान चढ़ता चला जाता था। उसके बाद अनेक मौके आए जब लोगों ने इस विषय में अपनी एकजुटता प्रकट। इसको लेकर वर्ष 2009 में ही पूर्व पालिका प्रधान मनोज दीवान के नेतृत्व में जिला बनाओ संघर्ष संघर्ष समिति का भी गठन किया था। समिति के नेतृत्व में लोगों ने अनेक प्रकार से धरने-प्रदर्शन करके अनेक ज्ञापन अधिकारियों व राजनेताओं को सौंपे गए थे।
22 दिसंबर 2024 को फिर शुरू हुआ आंदोलन
वर्ष 2024 के आखिरी में जब प्रदेश में अनेक जिलों के गठन की बात चली तो सफीदों के लोगों के फिर से कान खड़े हो गए। समाजसेवी ने लोगों ने 22 दिसंबर 2024 को तत्काल एक बैठक नगर के रामलीला मैदान में बुलाई गई। बैठक में काफी तादाद में गण्यमान्य व समाजसेवी लोगों ने भाग लिया। इस जिला बनाओं संघर्ष समिति में अध्यक्ष समाजसेवी सुभाष जैन, संयोजक मनोज दीवान, महासचिव संजीव गौत्तम के अलावा अनेक गण्यमान्य लोगों को पदाधिकारी बनाया गया। उसके बाद इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए 29 दिसंबर 2024 को लोग नागक्षेत्र सरोवर प्रांगण में एकत्रित होकर सड़कों पर उतरे और महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के नाम एक ज्ञापन नायब तहसीलदार को सौंपा। उसके बाद संघर्ष समिति विधायक रामकुमार गौत्तम से मिली। विधायक रामकुमार गौत्तम के दखल के बाद इस आंदोलन को गति मिली। विधायक रामकुमार गौत्तम ने सीएम नायब सिंह सैनी, जिला बनाओ कमेटी के चेयरमैन कृष्ण पंवार, सदस्य केबिनेट मंत्री महिपाल ढांडा, केबिनेट मंत्री श्याम सिंह राणा व केबिनेट मंत्री विपुल गोयल से बात की। उसके बाद संघर्ष समिति के पदाधिकारी जिला बनाओं कमेटी से मिले और सफीदों को जिला बनाने का परपोजल सौंपा। उसके उपरांत संघर्ष समिति के पदाधिकारी प्रदेश के सीएम नायब सैनी से मिले और उनसे सफीदों को जिला बनवाने का अनुरोध किया। वहीं संघर्ष समिति द्वारा जिला बनाने के लिए आवश्यक प्रस्ताव व कागजात सरकार को भेजे गए।
सफीदों को जिला बनाने के पीछे क्या दिए गए तर्क
सफीदों को जिला बनाओं संषर्ष समिति द्वारा सरकार को तर्क दिए गए कि सफीदों एक ऐतिहासिक नगरी है तथा इसका महाभारतकालीन सभ्यता में विस्तृत वर्णन है। यहां पर ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर व मंदिर आज भी विद्यमान है जोकि सफीदों क्षेत्र की पौराणिकता को दर्शाता है। सफीदों में डाक सेवा 1885 में ब्रिटिश सरकार से संधि करके शुरू की गई थी। सन 1889 में यहां पहला अपर प्राइमरी स्कूल बन गया था। 1914 में यहां कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी शुरू हो गई थी। जींद-पानीपत रेल सेवा सन 1916 में शुरू हुई तथा सफीदों में रेलवे स्टेशन का निर्माण 1931 में हो गया था। यहां पर एलोपैथिक डिस्पेंसरी 1918 में प्रारंभ हो गई थी और 1971 में इसे अस्पताल का दर्जा मिला था। सफीदों में अनाज मंडी की स्थापना 1920 में हो गई थी तथा यहां नगरपालिका 1938 में बन गई थी। सन 1952 में सफीदों विधानसभा क्षेत्र बना था और सन 1968 में सफीदों तहसील बन गई थी। सन 1975 में यहां न्यायालय की स्थापना हो गई और सन 1980 में सफीदों सबडिवीजन बन गया था। जब रियासतों को समाप्त करके उनका विलय भारत में किया गया तो रियासत जींद को सबसे पहले 15 जुलाई 1948 को भारत के एक नए राज्य पेप्सू में मिला दिया गया। तब संगरूर जिला बना तथा सफीदों इस जिले में शामिल था। 1 नवंबर 1966 को जब हरियाणा अस्तित्व में आया तब जींद, सफीदों एवं दादरी तो हरियाणा में आ गए मगर संगरूर पंजाब में ही रह गया था। उस समय जिला जींद बन गया तथा सफीदों को तहसील बना दिया गया था। इस तरह सफीदों की उत्पत्ति एवं अस्तित्व बहुत पौराणिक है। सफीदों की यह धर्मभूमि राजा कुरु और पांडवों के शासन का हिस्सा रही है। जो आज भी नागक्षेत्र तीर्थ व खानसर चौंक पर स्थित वामन पुराण वर्णित सर्पदधि तीर्थ जैसी धरोहर को अपने आंचल में समेटे हुए है। सफीदों का सीधा संबंध कुरुक्षेत्र धर्मयुद्ध से है। सफीदों के ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो गांव हाट में शिवपुराण से संबंधित हटकेश्वर तीर्थ, गांव जामनी में जगदग्मिन तीर्थ, गांव कालवा में यताति तीर्थ व पाजू कलां में पगधोई तीर्थ आज भी विद्यमान है। जो की सभी कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अधीन है। वर्तमान में सफीदों में लघु सचिवालय व न्यायिक परिसर काम कर रहे हैं। नागरिक अस्पताल व कई हुडा सैक्टर बने हुए है। शिक्षा क्षेत्र में तीन राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय, एक नर्सिंग कॉलेज, गांव खेड़ा खेमावती व गांव मुआना में आईटीआई, महाराजा जन्मेज्य खेल स्टेडियम, गांव सिल्लाखेड़ी, गांगोली, हाट आदि में भी खेल स्टेडियम है।
सफीदों के बीचोबीच हांसी ब्रांच नहर बह रही है।
क्या कहते है संघर्ष समिति के संयोजक मनोज दीवान
इस मामले में सफीदों को जिला बनाओं संघर्ष समिति के अध्यक्ष मनोज दीवान का कहना है कि बड़ी खुशी का विषय है कि लोगों का संघर्ष कामयाब होता दिख रहा है। जिला बनाने की लिस्ट में सफीदों का नाम आ चुका है। यह सब लोगों की एकजुटता, विधायक रामकुमार गौत्तम के प्रयासों व संषर्ष समिति के कोशिशों का परिणाम है। सफीदों के जिला बनने के बाद यहां पर विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।